ललितपुर। स्वास्थ्य महकमे में अफसरों के निर्देशों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण प्रसूता के भोजन के टेंडर का है। नवंबर माह में ही सीएमओ ने टेंडर कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
भले ही शासन द्वारा विभागों में होने वाले होने कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस प्रक्रिया में नियमों की लगातार अनदेखी की जा रही है। यहां अवधि समाप्त होने के बाद भी टेंडर प्रकिया नहीं अपनाई जा रही है। ऐसी ही स्थिति स्वास्थ्य विभाग में लंबित पड़े दो कार्यों के टेंडर प्रक्रिया की है।
शासन द्वारा संस्थागत प्रसव में जच्चा व बच्चा को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती किया जाता है। जहां पर निशुल्क भोजन व नास्ता की सुविधा है। अस्पतालों में भर्ती प्रसूताओं को भोजन वितरण कराने के लिए विभाग द्वारा टेंडर प्रकिया अपनाई जाती है। लेकिन, विभागीय अधिकारी टेंडर की अवधि समाप्त होने के बाद भी टेंडर नहीं कराए जा रहे हैं। इसके अलावा विभाग में वाहनों की कमी है। इस पर शासन के निर्देशन पर एक ट्रैवल्स एजेंसी से एक वर्ष का अनुबंध किया जाता है। इसके लिए भी टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके बाद अनुबंधित फर्म से वाहन लिए जाते हैं। अवधि समाप्त होने के बाद पुन: टेंडर प्रक्रिया होती है, लेकिन अवधि को समाप्त हुए लगभग आठ माह से अधिक समय हो गया है। अब तक टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। इस मामले को संज्ञान में लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. प्रताप सिंह ने विभागीय अधिकारियों को नवंबर माह में टेंडर कराने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक टेंडर की निविदाएं नहीं निकाली जा सकीं है। इससे विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
विभाग में बनने वाले प्रसूताओं के खाने व वाहन के टेंडर प्रक्रिया पर जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदन कर दिया है। अब शीघ्र ही निविदाएं निकाली जाएंगी।
- डा. प्रताप सिंह
मुख्य चिकित्सा अधिकारी
स्वास्थ्य विभाग